Success Story : 100 बार रिवीजन, ये किताब पढ़कर पास की UPSC, सुधार ली एक गलती और बन गईं IAS

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Success Story : आईएएस-आईपीएस बनने का ख्वाब संजोकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC CSE) की तैयारी में लोग दिन-रात एक कर देते हैं. लेकिन कई बार छोटी-छोटी गलतियां उनके सपने की राह में रोड़ा बन जाती हैं. उत्तराखंड की रहने वाली एक आईएएस अधिकारी हैं मीना करनवाल. वह अपनी एक गलती की वजह से दो बार रिजेक्ट हो गई थीं. आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी के बारे में. मीना करनवाल की कहानी से यूपीएससी की तैयारी करने वाले काफी टिप्स ले सकते हैं.

 Success Story : उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली आईएएस मीनल करनवाल साल 2019 बैच की महाराष्ट्र कैडर की अफसर हैं. वह वर्तमान में चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, जेपी नांदेड हैं. इससे पहले वह नंदूरबार की प्रोजेक्ट ऑफिसर कम असिस्टेंट कलेक्टर थीं.

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Success Story : उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली आईएएस मीनल करनवाल साल 2019 बैच की महाराष्ट्र कैडर की अफसर हैं. वह वर्तमान में चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, जेपी नांदेड हैं. इससे पहले वह नंदूरबार की प्रोजेक्ट ऑफिसर कम असिस्टेंट कलेक्टर थीं.

मीनल करनवाल की स्कूलिंग सेंट जोसेफ कॉलेज से हुई है. जबकि ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से किया है. बचपन से ही मीनल का सपना आईएएस बनने का था. इसलिए उन्होंने करियर को लेकर भटकने की बजाए ग्रेजुएशन पूरा होते ही यूपीएससी की तैयारी के लिए खुद को समर्पित कर दिया.

मीनल करनवाल की स्कूलिंग सेंट जोसेफ कॉलेज से हुई है. जबकि ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से किया है. बचपन से ही मीनल का सपना आईएएस बनने का था. इसलिए उन्होंने करियर को लेकर भटकने की बजाए ग्रेजुएशन पूरा होते ही यूपीएससी की तैयारी के लिए खुद को समर्पित कर दिया.

मीनल करनवाल अपने एक मीडिया इंटरव्यू में बताती हैं कि उन्होंने अपने तीसरे अटेम्प्ट की तैयारी के दौरान एनसीईआरटी बुक्स पर अच्छी तरह फोकस किया. उसे कायदे से पढ़ा. इसके बाद नतीजा सबके सामने है. वह 2018 के अटेम्प्ट में ऑल इंडिया 35वीं रैंक के साथ यूपीएससी क्लीयर करके आईएएस अधिकारी बनीं.

मीनल ने अपनी तैयारी के बारे में बताया कि उन्होंने अपने शॉर्ट नोट्स का करीब 100 बार रिवीजन किया. टेक्स्ट बुक्स को बार-बार पढ़ा. यह इतनी बार पढ़ लिया कि उनका दिमाग स्ट्रेस की स्थिति में भी काम करने के लिए ट्रेंड हो गया. उनका यह भी मानना है कि हमें एक ही विषय पर अटके नहीं रहना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके सिलेबस पढ़कर खत्म कर देना चाहिए.

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